भास्कराचार्य की अपनी बेटी लीलावती एक महान गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री : By Shri Darshan Baweja
उत्तर : सत्रहवी शताब्दी में यूरोप में महिलाओं को समान अधिकार नहीं थे। तब गणित पढ़ना औरतों के लिए बुरा माना जाता था। इसे पुरुषों का काम समझा जाता था। शायद यही कारण है कि इतिहास में महिला गणितज्ञों की इतनी कमी रही है। सोफी जर्मैन फ्रांस की और लीलावती भारत की पहली महिला गणितज्ञ थी।
भारत में गणित की जड़े बहुत पुरानी और गहरी हैं परन्तु महिला गणितज्ञ के रूप में अभी तक प्राचीन महिला गणितज्ञ के रूप में 12 वी शताब्दी में लीलावती नाम की महिला जानी-मानी गणितज्ञ थी। सन् ग्यारह सौ चौदह ईस्वी में जन्मे भास्कराचार्य को संसार के एक महान गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है पर उनके गणित के ग्रन्थ लिखने में उनकी बेटी लीलावती का भी बहुत बड़ा हाथ रहा था। जब विवाह के एक वर्ष बाद ही लीलावती के पति की मृत्यु हो गयी और लीलावती अपने पिता के घर में ही रहने लगी। लीलावती को अपने पिताजी के ज्ञान पर और ज्योतिष पर बहुत विश्वास था। उनकी की गणना के अनुसार ऐसा होना ही था। भास्कर से अपनी विधवा पुत्री की हालत देखी नहीं जा रही थी इसलिए वो उसे किसी कार्य में व्यस्त रखना चाहते थे इसके लिए गणित उनके पास एक अच्छा विषय था। लीलावती को भी अपने पिता पर भरोसा होने लगा था। वह पिता के साथ ही गणित और ज्योतिष के अध्य्यन में जुट गयी। भास्कराचार्य ने अपनी बेटी लीलावती को गणित सिखाने के लिए गणित के ऐसे सूत्र निकाले थे जो काव्य में होते थे। वे सूत्र कंठस्थ करना होते थे। उसके बाद उन सूत्रों का उपयोग करके गणित के प्रश्न हल करवाए जाते थे। कंठस्थ करने के पहले भास्कराचार्य लीलावती को सरल भाषा में, धीरे-धीरे समझा देते थे। वे बच्ची को प्यार से संबोधित करते चलते थे, "हिरन जैसे नयनों वाली प्यारी बिटिया लीलावती, ये जो सूत्र हैं...।" बेटी को पढ़ाने की इसी शैली का उपयोग करके भास्कराचार्य ने गणित का एक महान ग्रंथ लिखा, उस ग्रंथ का नाम ही उन्होंने "लीलावती" रख दिया।
इस तरह गणित अपने पिता से सीखने के बाद लीलावती भी एक महान गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री के रूप में जानी गयी। आज गणितज्ञो को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है।
आजकल भारत में लडकियां गणित में रूचि लेने लगी हैं और विश्व समुदाय की भी धरणा बदली है। शकुंतला देवी का नाम तो गिनीज बुक में भी है।
By Shri Darshan Baweja.
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