कैकेयी सा दृष्टीकोण मन्थरा प्रवति को ही जन्म देता है जो पारिवारिक विघटन की ओर उन्मुख करता है ! भरत चरित जन्मने और उदित होकर प्रतिकार करने के अंतराल तक राम आदर्श वनागमन को बाध्य होकर राक्षसी संस्कृति (सामाजिक विषमताओं) की अग्नि परीक्षा से जूझते जूझते पलायनशीलता को ही गतिशील बनाने में सहायक होती है ! क्या - क्यों - कैसे पर विचारशील मष्तिस्क इन विडम्बनाओं का आंकलन करके संभावित पलायनवादी मानसिकता का प्रतिकार कर सकते है ? वसुदेव कुटुम्बकम की परिकल्पना और उसके अनुरूप मानसिकता के विकास से हम सामाजिक / पारिवारिक विघटन से निदान पा सकेंगे यह एक अमोघ मंत्र सिद्ध होगा ! विद्वत समाज हमारा मार्ग दर्शन करे इसी निवेदन के साथ आपका ....
भोलानाथ शुक्ल कानपुर - १ UP
Dt 11 July 2014 at 6 hrs.
भोलानाथ शुक्ल कानपुर - १ UP
Dt 11 July 2014 at 6 hrs.
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