नजर उतारने का अनुभूत टोटका
नजर लगे व्यक्ति के लक्षण
नजर लगी बच्चे अस्वस्थ , चिड़चिड़े होते हैं । दूध नहीं पीते हैं। रोते रहते हैं । नींद सी आती रहती है । मुँह से खट्टी गन्ध आती है ।अपच और ज्वर भी आ जाता है।
बुरी नजर का प्रभाव छोटे बच्चों को ही लगता हो ऐसी बात नहीं है। बड़े बड़े व्यक्ति भी इसकी चपेट में आकर मानसिक रूप से उद्विग्न अशांत देखे गए हैं। उन्हें अपच, उल्टी,सिरदर्द, पीलापन ,थकान , सुस्त , किसी कार्य में अरुचि , बैचेनी, घबराहट ,आदि देखी जाती है।
जब इन लक्षणों के आधार पर अपने व्याधि की शिकायत में डॉक्टर से करते हैं , तो कुछ रोग नही होता और सभी रिपोर्ट नार्मल आती है। ऐसी स्थिति में वह नजर संबंधी टोने टोटके करने के उपरांत वे ठीक हो जाते हैं।
इसी प्रकार दुधारू पशु , सुंदर मकान आदि पर भी नजर का प्रभाव दिखाई पड़ता है। तभी नवनिर्मित मकानों में किसी काली मटकी का उल्टा लटकाना या भयानक कार्टूंस लटकाना नजर से बचाव के टोटके है।कितनी ही बार देखने मे आता है कि लोग पुराने मकान में स्वस्थ और खुश रहते है लेकिन नए मकान में प्रवेश के बाद से ही रोग ओर क्लेश होता रहता है।यह सब नजर दोष या वास्तु दोष के कारण होता है।
1) राई के दाने, नमक की डली, और 7 साबुत लाल मिर्च को नजर से पीड़ित बच्चे के सिर के ऊपर से 7 बार उसारकर जलती हुई अग्नि में डाल देना चाहिए।
2) रुई की बत्ती बनाकर,सरसों तेल में भिगोकर, बाएं (उल्टे) हाथ से पकड़कर ,बुरी नजर से पीड़ित बच्चे के सिर के ऊपर से सात बार फेरते हुए मन ही मन यह कहें
जिसने इसे (बच्चे का नाम ) ले।
नजर लगाई हो उसकी नजर जलकर नष्ट हो।और उस बत्ती को उल्टी करके किसी वस्तु के सहारे लटका दें।उस बत्ती में से ज्योति के साथ जलती हुई तेल की बूंदे विचित्र ध्वनि करती हुई नीचे जमीन में गिरेगी। कुछ देर तक यह क्रिया चलती रहेगी। बाद में घर से बाहर जूते चप्पल से बत्ती को पीटकर बुझा दे ।
3) गाय का कच्चा दूध किसी मिट्टी के पात्र (कुल्हड़ ) में भरकर बाएं हाथ से नजर लगे व्यक्ति के सिर पर उतारकर कुत्ते को पिला दें।
4) ज्वार के आटे से बनी एक और कच्ची ,दूसरी और पक्की रोटी तैयार करें,पके हिस्से पर देसी घी लगाकर चौपड़ लें।बाद में इसको पीले धागे से लपेटकर नजर से प्रभावित व्यक्ति पर सात बार उसारकर किसी चौराहे पर चुपचाप रख दे।अगर नजर लगी होगी तो उपरोक्त उपाय करने से नजर उतर जाएगी ओर व्यक्ति तभी से निरोग होना प्रारंभ हो जाएगा।
उक्त सभी क्रिया शनिवार , मंगलवार शाम के समय करें।आवश्यकता पड़ने पर इस क्रिया को पुनः दोहराया जा सकता है। क्रिया को करते समय किसी की टोक नही होनी चाहिए।
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