भोले नाथ भगवान् शिव को एक घनाक्षरी छंद निवेदित है
जान्हवी को धारण है किया जटा मध्य
प्रभु कन्ठ सर्प माल ने भी बहुत नहाया है
शीश पर बाल शशि आपके विराजमान
डम डम डमरू भी आप ने बजाया है
भुजंग फणों की मणि से प्रसृत प्रभा पुंज
सुर नर दानवों को तांडव दिखाया है
ज्ञान देने वाले गुरु आप शिव हैं
तभी तो आशुतोष उर मध्य आपको बसाया है
रचनाकार डॉ आशुतोष वाजपेयी कवि एवं ज्योतिषाचार्य लखनऊ
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