सतावन की कथा - वीरो की गाथा....
सतावन की कथा - वीरो की गाथा....
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सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय
राजे और सामंत लड़े थे, जिनके तख्त-ताज खो जाएं|
लड़े किसान, मजदूर लड़े थे, अपने सारे भेद मिटाय
हुनरमंद कारीगर लड़ गए, जान की बाजी दई लगाय|
दुनिया थी जिसके कदमों में, सिक्का अपना रहे चलाय
यूं कहते थे राज में जिनके, सूरज कभी ड़ूबता नाय|
उसी फिरंगी राज को देखो, नाकों चने दिए चबवाय
उन वीरों की कथा सुनाऊं, सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय|
पहले सुमरूं मातृभूमि को, वीरों को लूं शीश नवाय
रानी झांसी और तात्यां, सतावन के वीर कहाएं|
नाना साहब पेशवा थे और बेगम हजरत महल बताएं
नाहर सिंह और कुवंर सिंह थे, बड़े लड़ाके रहे बताए|
रेवाड़ी का राव बड़ा लड़ाका, तुलेराम था नाम कहाय
कोमल नारि अजीजन ने भी, अपनी पलटन लई बनाय|
बाबर रांघड़, मुनीर बेग और जैन हुकमचंद रहे बताय
वीर अनेकों शहीद हुए यूं, किस किस के दूं नाम गिनाए|
जनता और राजे-रजवाडों ने कंधे से कंधे लिए मिलाय
मिलकर टूट पड़े बैरी पर, पंचो सुनियो ध्यान लगाय|
चिंगारी फूटी मेरठ में लपटें पहुंची दिल्ली आय
बागी फौज पंहुच गई दिल्ली किले पे ड़ेरा दिया लगाय|
मार भगाया अंग्रेजों को, धरती सुर्ख लाल हो जाए
आजादी आई थी फिर से अब था खौफ किसे का नाय|
अवध कानपुर झांसी सब पर झंड़ा अपना ही लहराय|
यह था हाल देश का सज्ज्नो जिसको पढके मूड उठि जाय।
सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय
वीरों की गाथा मैं गाऊं, सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय|
..................................... संकलकर्ता - गोपाल कृष्ण शुक्ल
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