वेदादि धर्म ग्रंथों में पर्व व्रत उत्सव रहस्य !
डंडी स्वामी श्रीमद दत्त योगेश्वर देव तीर्थ महाराज !
कल्याण : व्रत उत्सव अंक : सन २००४ अंक जनवरी २००४ : वर्ष
७८ : संख्या १ :
व्रत के विषय में तिथि
निर्णय करना महत्व की बात है ! कारण उस पर व्रत के फल का अवलम्बन होता है ! नारद
पुराण पृष्ठ २९ / २ में कहा है :
श्रौतं स्मार्तं व्रतं
दानं याच अन्यत कर्म वैदिकम्
अ निर्णीतासु तिथिशु न किंचित फलित द्विज !!
श्रौत कर्म , स्मार्त
कर्म , व्रत , दान किंवा अन्य किसी भी वैदिक कर्म
करने की तिथी निश्चित न करने से उस
धर्म कृत्य का फल नहीं मिलता है !
कर्मणो यस्य य:
कालस्तत्काल व्यापिनी तिथिः !
तया कर्माणि कुर्वीत ह्रास
वृद्धि न कारणम !!
धर्म कार्य जिस तिथि को
करना है वह तिथि प्रातः मध्यान जब हों तभी करना चाहिए ! वही समय योग्य है ! तिथि
के क्षय वृद्धि आदि के विषय में विचार करने का कारण नहीं है !
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