Sunday, October 9, 2011

Importance of 88th navansh contd....

By Bhola Nath Shukla ·
८८ वां चरण ( क्रमशः )
८८ वां चरण के सम्बन्ध में कुछ जानकारी आप के सम्मुख प्रस्तुत किया था. मेरे कुछ साथियों ने इस विषय को पसंद किया और इस में उत्सुकता दिखाई . अतः जब यह सब प्रयास हों रहा है तो इससे सम्बंधित हमारे पास संग्रहीत विचार विस्तार से लिख रहा हूँ ताकि पाठक बंधुओं को आगे शोध और प्रयोग में गति मिले.
I had given one small write up about the usage of 88th Charan the other day. Many friends liked it. Some of my friends are interested more on the subject. . When that much of interest is shown then I, feel duty bound to add more details on the subject which are in my collection.

Astrological Magazine Page 895 Dec 92 Volume 81 No 12.
Vainashik : Discussed while explaining matching of horoscope ( दिन कूट )

काल प्रकाशिका quoted.
वध वैनाशिकम चापि तृतीये परिवर्जयेत ...

काल प्रकाशिका another quote .
वध वैनाशिके योगे फलं काश्यपोदिततं ...अग्नि सर्पो ....
काल प्रकाशिका another quote.
द्वाविंश जन्म नक्षत्राद्वैनाशिकम इति स्मृतं
विनाशं कुरुते यसमाद्वैनाशिकम स्मृतं !
In context to उपनयन Muhurt “काल विधान ” quoted :
सप्त पंचम चंद्राष्ट सप्त विंशतिभेषूच
वैनाशिके त्रिजनम्रक्षेचनेश्त्मेषूपनायनम .

Astrological Magazine Page १० जन १९९३
काल प्रकाशिका quoted.
सप्त पंचम चंद्राष्ट सप्त विंशतिभेषूच
वैनाशिके त्रिजनम्रक्षे द्विजोपनयनम शुभम .

Note the difference : it is barred by “काल विधान and for काल प्रकाशिका it is shubh.
But the CATCH is 88th Charan . (Not the whole nakshtr) Means only the last Charan of 22nd nakshtra is evil.


Astrological Magazine Page 892 Oct 1998
This article elaborates Tara Padhati very lucidly.


“काल विधान another quote.
वैनाशिकाख्य नक्षत्रे अप्याअष्टाशिति तमोंशक:
शिष्टअंशा: शुब्दास्सर्वे केचिददक्षविवर्जित !
Here only 88 th Charan specified ( अष्टाशिति )

There is one book सुगम ज्योतिष authored by Pandit Devidutt Joshi. I found this book very useful in my study. The quotes regarding 88th Charan from this book are as under :

Page 690 -- 5th Chapter :
जन्माद्यं दशमं कर्मं .......................................
Page ७०६ और ७५२ -- 5th Chapter :
नेष्ट तारा के साथ साथ बाण दोष के लिए भी आगाह किया है.

शुद्ध दीपिका अध्याय ३ पेज ५९ (100 + years old publication)
सर्व कर्मणयूपादेया विशुधिस चन्द्र तारयो:
तचशुद्धावेव सर्वेषां ग्रहाणाम फलदा तृता.
सभी कर्मो में चन्द्र और तारा शुधि का उत्कर्ष अभिहित है ! इसके सुबह होने से ग्रहों की शुभता में वृद्धि होती है.
पूर्व कालामृत page 38 shloka 11, Page 104 sloka 81 & page 120 shloka 96.
नक्षत्र और तारा शुधि की व्याख्या के साथ ८८ वां चरण वर्जित करने हेतु काल प्रकाशिका का श्लोक उद्धृत

प्रश्न मार्ग ( Commentary by Dr BV Raman)
Sloka 3 Page 32, 1st part,
Sloka 19 Page 40, 1st part,
Sloka 30 Page 188 1st part, (significanceof Tri Sphut)
Advises to avoid the नेष्ट नक्षत्र and most importantly the 88th Charan
Sloka 49 Page 200, (significanceof Tri Sphut)
Speaks specifically that 88th Charan is the most malefic point.

जातका देश मार्ग चंद्रिका (commentary by shri gopesh ojha ji )
Read Page : 200, 204, ( भाव विचार प्रकरण ), 219, 220 ( दशा प्रकरण )
२६३ ( आनूकुलय प्रकरण )
यह सभी नक्षत्र और तारा शुधि आदि विस्तार से कहते है .
अंततः पेज २७१ श्लोक ३८ में ८८ वां चरण को अति निकृष्ट कह दिया.

मुहूर्त चिंतामणी पीयूष धारा ( commentary Shri Kedar Dutt Joshi )

नक्षत्र प्रकरण श्लोक ४३ पेज १०८, श्लोक ५२ पेज ११८, श्लोक ६१ से ६३ पेज १४९,
गोचर प्रकरण श्लोक ६. पेज २००, श्लोक ११, १२ पेज २०९, श्लोक १३ पेज २१०
तारा, नक्षत्र, ८८वां चरण आदि महत्वपूर्ण उद्धरण उपलब्ध है विस्तार के साथ इस पुस्तक में महाभारत, वाराह मिहिर,च्यवनऋषि, नारदऋषि, जगनमोहन के विचार संकलित है. पाठक वृन्द पुस्तक से पठन करने का उद्द्यम करें.

जातक पारिजात : (commentary by shri gopesh ojha ji)
Page 664 (part 2) shloka 79 to 81,
Page 1037 (part 2) shloka 25,
Page 1036 (part 2) shloka 23,
Page 1040 (part 2) shloka 33.

तारा, नक्षत्र, ८८वां चरण आदि महत्वपूर्ण उद्धरण उपलब्ध है विस्तार के साथ इस पुस्तक में.
पाठक वृन्द कृपया पुस्तक से पठन करने का उद्द्यम करें.

Shri TS Wasan ji Bangalore Vice President ICAS has also authored one small book where he has defined 88th Charan as Khar खर Navansh.
Shri RP Gaur from Rajasthan has published one book नक्षत्र ज्योतिष . At page 108 he has cited 88th Charan as malefic point. Etc.

Note : But for Kaal Prakishka and Kaal Vidhaan books, all other referred books are available readily. The Astrological Magazine referred to above would be available with many students and Faculty members. So for more details consult them The Kaal vidhan book is still not available to me. The Kaal Prakashika is available with me and I, will upload the scanned pages of the referred shloka’s very shortly.

With due regards to all ज्योतिष अनुरागी बंधू जन
भोला नाथ शुक्ल
bnshukla05@gmail.com

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