Tuesday, April 24, 2012

मृत्यंजय शिव स्तुति : प्रस्तोता श्री विनए वेद .


हर हर महादेव् शम्भू भयभीत हूँ हे सदैव देव, मृत्यु न हो जाये अकाल ! महा मृत्युंजय जाप करूँ, हे कालों के शिव महाकाल ! श्राप का अंत कीजिये प्रभु, जीवन का नहीं कदाचित ! पीड़ित भाग्य भोगता रहा हूँ, श्वासों का ले कर प्रयाश्चित ! श्मशान वैराग्य से जीवन को, श्मशान न करो हे कृपाल ! मैं हूँ संतान माया की प्रभु, गर्भ माता का न पतन करो ! याचना को मेरी नया हल दो, पूर्ण फलित पूजा यतन करो ! सुर न खंडित जीवन का हो, सुन हे मेरे तांडव के ताल ! गणित कर्म का पाप पुण्य का, योनियों के जन्म निभाये ! पर कहो किस गणित अधीन, मेरा प्रथम जन्म चलाये ! किसके कर्म से आरम्भ हुआ, हूँ मैं किस बरगद की छाल ! था मैं जैसे पुण्य पाप मुक्त, प्रथम योनी का प्रथम लाड ! वैसे ही निर्कर्म कीजिये मुझे, स्नेह आशीष दे कर प्रगाढ़ ! शुभ जीवन को पलने दीजिये, हे पलने के अंतिम अनंत पाल ! (रचयिता - विनय वेद)

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