Tuesday, January 10, 2012

108 की संख्या महत्वपूर्ण : by Sri Umesh Sharma Astrologer

श्री १०८ का उद्वान कर रहा हूँ --
धर्म भाव नवम है =९
मोक्ष भाव द्वादश =१२
धर्म x मोक्ष =पूर्णत्व
९ x १२ = १०८ पूर्णत्व = ब्रह्मत्व
... चार पुरुषार्थ हैं -- धर्म -- अर्थ-- काम-- मोक्ष
प्रत्येक पुरुषार्थ की तीन अवस्थाएं होती हैं यथा --
धर्म का मुकुलन भाव है -१, पुष्पन भाव है -५, फलनभाव है ९
अर्थ का मुकुलन भाव है -२, पुष्पन भाव है -६, फलनभाव है १०,
काम का मुकुलन भाव है -३ पुष्पन भाव है - ७, फलनभाव है ११,
मोक्ष का मुकुलन भाव है -४, पुष्पन भाव है ८, फलनभाव है १२ प्रस्तुत सन्दर्भ में धर्म एवं मोक्ष ही अभीष्ट हैं
विशिष्ठ जन ही इन दो पुरुषार्थ का वरन करते हैं-- सामान्य जन तो अर्थ और काम में ही रमण करतें हैं
प्रथम भाव धर्म का बीज है- पंचम भाव धर्म का विस्तार है नवम भाव धरम का उत्कर्ष है-- अतः नवम भाव धर्म का पूर्ण प्रतीक है--
चतुर्थ भाव मोक्ष का बीज है-- अष्टम भाव मोक्ष का विस्तार है-- द्वादश भाव मोक्ष की पराकाष्ठा है-- अतः द्वादश भाव मोक्ष का पूर्ण प्रतिनिधि है--
इस प्रकार जिस की कुंडली में धर्म भाव ( ९ ) एवं मोक्ष भाव ( १२ ) शुभ प्रभाव में रहते हुए पुष्ट है वः निश्चय ही ९ x १२ =१०८ है --
नवम एवं द्वादश में परस्पर सम्बन्ध भी होना चाहिए -- ऐसा होने पर जातक धर्मस्थ और मुमुक्ष , एक साथ होता है--
जो स्वधर्म में स्थित रहते हुए मोक्ष पथ पर आरूढ़ है उसे इस संख्या का मूर्तिमान रूप में माना जाता है-
इन्द्रादि देवताओं के गुरु बृहस्पति का पर्याय है --१०८ की संख्या-- गुरु दो राशियों धनु और मीन का अधिपति है -- धनु की संख्या ९ तथा मीन की संख्या १२ है--
इनका गुणनफल ९ x १२ = १०८ है-- इसप्रकार १०८ का अर्थ हुआ बृहस्पति -- बृहस्पति का अर्थ है ज्ञानवान-- अतः १०८ का अर्थ हुआ "ज्ञानी"
कुंडली में द्वादश भाव होतें हैं-- प्रत्येक भाव का बीज उसका नवांश है- भाव तो फल है बीज उसका सत्त है--
प्रत्येक भाव में ९ बीज होते हैं-- इसप्रकार १२ भावों में बीजों की संख्या १२ x ९ = १०८ हुई - जिसकी मुट्ठी में ये १०८ बीज हैं वही "श्री १०८" कहलाने योग्य होता है-- श्री १०८ = भाव बीजो का ज्ञाता --
कुंडली व आकाश में द्वादश राशियाँ होती हें, नव ग्रह होते हैं-- द्वादश रशियों में भ्रमण करते हुए प्रत्येक ग्रह की १२ अवस्थाएं होती हैं-- इस प्रकार इनकी कुल १२ x ९= १०८ अवस्थाएं हुईं -
इन अवस्थाओं का जिसने साक्षात्कार किया है , वही " श्री १०८" है --


penned by Sri Umesh Sharma Astrologer

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