Friday, June 20, 2014

कुछ रोचक बातें : परेश मेहता के माध्यम से ?

दूकान उसकी भी लुट जाती है अक्सर हमने देखा है,,
जो दिन भर न जाने कितने ताले बेच देता है........

मैंने तो सिर्फ अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी दोस्तों ।।
दुश्मन भी कह उठा इंसान अच्छा था।।

"सूरज के सामने रात नहीं होती,सितारों से दिल की बात नहीं होती.जिन दोस्तों को हम दिलसे चाहते है,न जाने क्यों उनसे रोज़ मुलाकात नहीं होती.

ये हमारे भारत देशकी संस्कृति है की हम किसी भी चीज़ को पैर नहीं लगाते है,
वर्ना फुटबॉल में आज भारत नंबर वन पे होता...!!!

"मैं कोशिश तो बहुत करता हूँ उसको जान लूँ लेकिन,
वो मिलने पर बड़ी क़ारीगरी से बात करता है।।।

What is old age ?
A cool Reply:
"When you start turning off lights for economical reasons rather than romantic reasons...!!!

कई जीत बाकी हैं .कई हार बाकी हैं..अभी तो जिंदगी का सार बाकी है..
यंहा से चले हैं नयी मज़िल के लिए . ये एक पन्ना था अभी तो किताब बाकी है.!!

****ग़ज़ल****
अदब,ईमां,हया,का अब नज़ारा क्यों नहीं होता ।।
ज़माने में सदाक़त से गुज़ारा क्यों नहीं होता ।।
वही डूबा यहां पर जो वफ़ा में ही हुआ पागल,
वफ़ा के इस समंदर में किनारा क्यों नहीं होता ।।
भरोसा एक तेरा था दिये तूने गजब झटके,
मगर मेरा अभी भी गर्म पारा क्यों नहीं होता ।।
समोसा सेंडविच खाई पकौड़ी चाट तूने सुन,
उधारी बाप देगा क्या चुकारा क्यों नहीं होता ।।
ख़ुदा को ही नहीं मंजूर हैं खुशियाँ मिलें वर्ना,
हमारे नाम होटल पंच-तारा क्यों नहीं होता ।।
हमेशा इस गरीबी नें निभाया साथ मेरा तब,
सभी बोले कभी खाली पिटारा क्यों नहीं होता ।।
अमीरी से अमीरों से अगर अपनी जमी होती,
हमारी जेब में भी नोट सारा क्यों नहीं होता ।।
यहाँ पर खूब गुलछर्रे उड़ाये "राज" लोगों नें,
हमारा इश्क दुनिया को गवारा क्यों नहीं होता ।।
"राज बुन्देली"

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