Monday, August 13, 2018

Ved and Astronomy.. By Shri Siddhartha Sharma

वेदों में विज्ञान !!!

वैदिक युग की महान भारतीय प्रतिभाओं ने हजारों
वर्षों पूर्व प्रकाश के वेग का आकलन कर लिया था .

ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 50 वें सूक्त को पढ़ें --

योजनानां सहस्त्रं द्वे, द्वे शते , द्वे च योजने
एकेन निमिषार्द्धेन क्रममाण नमोsस्तुते l l

अर्थ - मैं उस प्रकाश शक्ति (सूर्य) को नमस्कार करता हूँ
जो आधे निमिष में 2202 योजन की दूरी तय करता है l

अब,
 1 योजन = 4 कोश                     (या, क्रोश)
             = 4 x 8000 गज           (1कोश =8000 गज)
          = 32000 x 0.9144 मीटर  (1गज=0.9144मी.)   
          = 29260.8 मीटर
4404 योजन = 4404 x 29260.8 मीटर
                 =  128864563.2 मीटर   
         
निमिष की परिभाषा श्रीमद्भागवत में इस प्रकार है --
1 अहोरात्र = 30 मूहूर्त
             = 30 x 30 लघु           (1 मुहूर्त = 30 लघु)
             = 30x30x15 काष्ठ       (1 लघु = 15 काष्ठ)
          = 30x30x15x15 निमिष  (1काष्ठ =15निमिष)
          = 202500 निमिष
202500 निमिष = 1 अहोरात्र = 24 घंटे
                                    = 24x60x60  सेकेण्ड
                                    = 86400 सेकेण्ड     
1 निमिष = 202500/86400 =  32/75 सेकेण्ड 

प्रकाश का वेग = आधे निमिष में 2202 योजन
                      = एक निमिष में 4404 योजन
                      = 32/75सेकेण्ड में 128864563.2 मीटर
                      = 302026320 मीटर प्रति सेकेण्ड
                      = 302026.32 कि मी प्रति सेकेण्ड
                      = 3 लाख कि मी प्रति सेकेण्ड

आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा 1983 में प्रकाश के वेग को सही सही निर्धारित किया गया था और उसका मान है = 299792458 मीटर प्रति सेकेण्ड
यानि, 3 लाख कि मी प्रति सेकेण्ड

श्रम हो किसी का, श्रेय किसी को
युग युग से शोषण यह चलता है l
तिल तिल कर जलती बाती ही है
सब कहते देखो ! दीपक जलता है  ll

आओ ! वेदों की ओर चलें !

-- सिद्धार्थ शर्मा , कटक
    12 अगस्त , 2012

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