Tuesday, August 28, 2012

सतावन की कथा - वीरो की गाथा....


सतावन की कथा - वीरो की गाथा.... _________________________ सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय राजे और सामंत लड़े थे, जिनके तख्त-ताज खो जाएं| लड़े किसान, मजदूर लड़े थे, अपने सारे भेद मिटाय हुनरमंद कारीगर लड़ गए, जान की बाजी दई लगाय| दुनिया थी जिसके कदमों में, सिक्का अपना रहे चलाय यूं कहते थे राज में जिनके, सूरज कभी ड़ूबता नाय| उसी फिरंगी राज को देखो, नाकों चने दिए चबवाय उन वीरों की कथा सुनाऊं, सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय| पहले सुमरूं मातृभूमि को, वीरों को लूं शीश नवाय रानी झांसी और तात्यां, सतावन के वीर कहाएं| नाना साहब पेशवा थे और बेगम हजरत महल बताएं नाहर सिंह और कुवंर सिंह थे, बड़े लड़ाके रहे बताए| रेवाड़ी का राव बड़ा लड़ाका, तुलेराम था नाम कहाय कोमल नारि अजीजन ने भी, अपनी पलटन लई बनाय| बाबर रांघड़, मुनीर बेग और जैन हुकमचंद रहे बताय वीर अनेकों शहीद हुए यूं, किस किस के दूं नाम गिनाए| जनता और राजे-रजवाडों ने कंधे से कंधे लिए मिलाय मिलकर टूट पड़े बैरी पर, पंचो सुनियो ध्यान लगाय| चिंगारी फूटी मेरठ में लपटें पहुंची दिल्ली आय बागी फौज पंहुच गई दिल्ली किले पे ड़ेरा दिया लगाय| मार भगाया अंग्रेजों को, धरती सुर्ख लाल हो जाए आजादी आई थी फिर से अब था खौफ किसे का नाय| अवध कानपुर झांसी सब पर झंड़ा अपना ही लहराय| यह था हाल देश का सज्ज्नो जिसको पढके मूड उठि जाय। सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय वीरों की गाथा मैं गाऊं, सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय| ..................................... संकलकर्ता - गोपाल कृष्ण शुक्ल

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