Thursday, June 21, 2018

कुकूर भुक्क ?

मेरी nov 2016 को लिक्खी एक पुरानी पोस्ट आज प्रासंगिक लग रही !!
कुछ ऊँ ही बैठे एक शब्द याद आया कुकुर भुक्क ?
कुकुर भुक्क मतलब, जब किन्ही कारणों वश कोई एक कूकुर भौकना शुरू करता है तो उसके इर्द गिर्द के संगी भी उसी अलाप में स्वर देते है ! देखते देखते कुछ दूर के पडोसी नयी तान में आलाप देकर स्वर से स्वर मिलाते है ! सिलसिले वार यह प्रगति करता है और गली से चौराहा से निकल तक दुसरे मोहाल तीसरे मोहाल से अनगिनत मोहाल तक फैलता है और अल- सुबह ( भोर होने के पूर्व ) शांत होकर एक ठंढी राख सम निस्तेज होकर कुकुर अपनी स्वान निद्रा में लिप्त हो जाता है !
यह क्यों और कैसे कुकुर भुक्क से ....... भुक्क हो रहा है ? आयं
Bhola Nath Shukla 

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