Wednesday, June 20, 2018

मेरे उदगार

आदतन जो कर्म शील हो
चुस्त हो दुरस्त हो न कोई ढील हो
हो उपस्थित जब नियति का विधान
अनमनी स्वीकृत दो प्रयत्नशील हो ।।
भोलानाथ शुक्ल

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