Thursday, June 21, 2018

स्वार्थपरता :

श्री कन्हैया लाल वाजपेयी गीतकार की एक पोस्ट जो हमारे मन के अत्यंत निकट लगी अतः उसको यहां उधृत करते है साभार 

सागर की तली में जो प्रवाल और रत्न बिखरे पड़े हैं उनकी तरफ उनका ध्यान जायेगा ही क्यों जिन्होंने घोंघों के ढेर जोड़कर खुद को रत्नधारी घोषित कर रखा है,इनके सामने आ जाये विद्यापति ,घनानन्द और सूरदास की आत्मा तो ये स्वयं को उससे भी वरिष्ठ सिद्ध कर देंगे,।।

सादर

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