Thursday, October 15, 2020

 कुछ ग्रह तो केवल गैस ही हैं


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपेच्यून ग्रह केवल गैस के बने हैं। पृथ्वी की कक्षा के बाहर मंगल ग्रह आता है, वहाँ तक तो सब ग्रह ठोस हैं और उसके बाद के सारे ग्रह गैस के रूप में हैं। प्रारम्भ में हमारी पृथ्वी भी गैस का एक गोला ही थी। बाद में वह धीरे-धीरे पहले तो तरल रूप में आई और बाद में ठोस रूप में आई।  इससे पहले पृथ्वी पर हजारों - लाखों वर्ष तक वर्षा होती रही। 

ग्रहों में सबसे छोटा बुध है। सूर्य के सबसे नजदीक होने के कारण दिन और रात में सबसे ठण्डा और गरम भी वही होता है। -173 डिग्री सेन्टीग्रेड तक नीचे चला जाता है और तेज धूप में 427 डिग्री सेन्टीग्रेड। इसकी धरती पर बहुत सारे के्रटर हैं और जीवन का कोई लक्षण नहीं है। वायु मण्डल भी नाम मात्र का ही है यद्यपि ऑक्सीजन 42 प्रतिशत तक है। वर्ष में कई बार पश्चिमी क्षिजित पर सूर्यास्त के बाद और पूर्वी क्षिजित पर सूर्यास्त से घण्टा-दो-घण्टा पहले चमकता दिखाई देता है। 

शुक्र - बुध के बाद सूर्य से दूसरे नम्बर पर शुक्र स्थित है। सूर्य और चन्द्रमा के बाद यदि सबसे चमकदार ग्रह यदि कोई हैं तो वह है शुक्र। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चन्द्रमा का शत्रु ग्रह हैं शुक्र। सूर्य और चन्द्रमा देवताओं के समूह में से हैं जबकि शुक्र को असुरों का गुरु माना गया है। सूर्यास्त के 2-3 घण्टे बाद यदि शुक्र दिखते हैं तो बहुत चमकदार दिखते हैं और सूर्यादय से 2-3 घण्टे पहले दिख जाएं तो भी अत्यधिक चमकदार दिखते हैं। तब इन्हें मॉर्निंग स्टार कहा जाता है। पृथ्वी से छोटे हैं। सतह ठोस है। शुक्र पर 96.5 प्रतिशत कार्बन डाइ ऑक्साइड है। गुरुत्वाकर्षण बल, रचना और आकृति के कारण पृथ्वी से समानता लिये हुए हैं। सल्फूरिक एसिड के बादल होने के कारण चमकदार दिखते हैं। ऐसा माना जाता है कि पहले शुक्र पर महासागर थे बाद में भाप बनकर उड़ गये। बड़ी-बड़ी चट्टानें और ज्वालामुखी के अवशेष शुक्र पर मौजूद हैं। 

चन्द्रमा - सौन्दर्य की तमाम उपमाएँ चन्द्रमा से सम्बन्धित हैं। है तो पृथ्वी का उपग्रह, परन्तु फलित ज्योतिष में ग्रह मानकर भविष्यवाणियाँ की जाती हैं। परन्तु अगर आप चन्द्रमा पर चले जाएं तो सारी पोल खुल जाएगी। अगर चन्द्रमा पर आप खड़े हो जायें तो पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती नजर आएगी। हर ग्रह के बहुत सारे चन्द्रमा हैं। परन्तु हमारे चन्द्रमा की बात ही कुछ और है। सोचिए ज्वार-भाटा के समय चन्द्रमा के आकर्षण से समुद्र की सतह भी कुछ फीट ऊपर तक उठ जाती है, तो मनुष्य शरीर में तो केवल कुछ लीटर पानी ही होता है। इसीलिए चन्द्रमा का प्रभाव मानव शरीर पर सबसे ज्यादा पड़ता है। सूर्य ग्रहण का कारण भी चन्द्रमा ही हैं। कुछ लोग मानते हैं कि साढ़े चार अरब वर्ष पहले पृथ्वी से टूट कर निकला है, तो कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि 1 ग्रह के टूकड़े होने के कारण बुध और चन्द्रमा बने। भारतीय ऋषियों ने चन्द्रमा को मामा बताया है। सम्भवत: उनकी यह धारण है कि चन्द्रमा और पृथ्वी एक ही खगोलीय पिण्ड से उत्पन्न हुए हैं अर्थात् सहोदर हैं। चट्टानों में टाइटेनियम धातु बहुत अधिक है। इसके दक्षिणी ध्रुव पर एक ऊँचा सा पर्वत है जिसकी ऊचाई 35 हजार वर्गफीट है। पहले चन्द्रमा धरती के बहुत पास था। अब हर वर्ष 3.78 सेन्टीमीटर दूर होता जाता है। एक दिन अन्तरिक्ष में गायब ही हो जाएगा। 

मंगल - मंगल की सतह भी ठोस है। इसकी कक्षा पृथ्वी की कक्षा से बाहर है। सूर्य से चौथे ग्रह हैं और लाल दिखते हैं। सौर मण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत मंगल ग्रह पर ही है। अपने एवरेस्ट से तीन गुना ज्यादा ऊँचा। भारतीय ऋषियों ने मंगल को पृथ्वी का पुत्र बताया है। पुराणों में भगवान के वराह अवतार और पृथ्वी के मिलन से मंगल की उत्पत्ति बताई है। लगता है किसी खगोलीय पिण्ड के टकराने के कारण पृथ्वी का एक टुकड़ा अलग होकर मंगल ग्रह बन गया। इसीलिए जीवन की सबसे ज्यादा सम्भावनाएँ मंगल पर बताई गई हंै। इसके सबूत मिले हैं कि मंगल पर पहले काफी अधिक पानी था। मंगल के 2 चन्द्रमा हैं। मंगल का सम्बन्ध शौर्य, पराक्रम से जोड़ा गया है और मनुष्य के शरीर में रक्त पर मंगल का नियंत्रण है। मंगल का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेन्टीग्रेड तथा न्यूनतम -140 डिग्री सेन्टीग्रेड है। 

बृहस्पति - सूर्य से पाँचवा ग्रह हैं बृहस्पति। सौर मण्डल का सबसे बड़ा ग्रह, गैस दानव कहलाता है। सारे ग्रहों का मिलकर जितना वजन होता है उससे ढाई गुना अधिक अकेले बृहस्पति का है। इस ग्रह पर सबसे ज्यादा करीब 90 प्रतिशत हाईड्रोजन है और करीब 10 प्रतिशत हीलियम है। बृहस्पति का एक चन्द्रमा यूरोपा है, जो सबसे बड़ा है। परन्तु कुल 79 प्राकृतिक उपग्रह हैं। देवताओं के गुरु बृहस्पति का समीकरण बृहस्पति ग्रह से किया गया है, जिन पर एक विशाल तूफान है जिसका रंग लाल है। परन्तु इनके चन्द्रमा यूरोपा पर बर्फ से ढ़के तरल सागर हैं।  

शनि - शनि भी बृहस्पति की तरह गैस के रूप में ही हैं। नीले रंग के दिखते हैं, जिनके चारों और बहुत खुबसूरत नीले रंग के वलय हैं। पृथ्वी से 95 गुना भारी शनि 1.434 बिलियन किलोमीटर दूर हैं। इनके भी 82 चन्द्रमा हैं। 

शनि के अलावा अरुण और वरुण भी गैसीय ग्रह के रूप में हैं, जिनका मेदिनी ज्योतिष में भविष्यवाणियों के लिए उपयोग किया जाता है। ये सब गैस के बने हुए हैं। इनका तापमान बहुत नीचे हैं और पृथ्वी से काफी अधिक दूर हैं। जहाँ पृथ्वी से बुध 5 करोड़ 79 लाख किमी. दूर हैं, वहीं  नेपेच्यून सूर्य से 4.50 अरब किमी. दूर हैं। यह भी नीले दिखते हैं और सौर मण्डल के आखिरी ग्रह हैं। 

इस तरह से सूर्य से मंगल तक के सारे ग्रह ठोस हैं और मंगल के बाद के सारे ग्रह गैसीय रूप में हैं।

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