Thursday, October 15, 2020

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ये चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …


चार मिले चौसठ खिले, बीस रहे कर जोड़!

प्रेमी-प्रेमी दो मिले, खिल गए सात करोड़!!


मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा। काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, तब मैंने कहा – बाबा आप ही बताइए, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा।


तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे – 

देखो भाग्यवान, यह बड़े रहस्य की बात है – 

चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है, तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं। इसलिए कहा, चार मिले – 


फिर कहा, चौसठ खिले – 

यानि बत्तीस-बत्तीस दांत – 

दोनों के मिलाकर चौसठ हो गए – इस तरह “चार मिले, चौसठ खिले” – हुआ!


“बीस रहे कर जोड़” – 

दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – 

बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!


वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है, लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ कहते हैं कहने वाले, 

तो कवि ने अंतिम रहस्य भी प्रकट कर दिया –


 “प्रेमी प्रेमी दो मिले – 

खिल गए सात करोड़!”


ऐसा अंतर्हृदय में बसा हुआ प्रिय व्यक्ति जब कोई मिलता है, 

तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – 


जैसे ही कोई ऐसा मिलता है, 

तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – 

“खिल गए सात करोड़” 

यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!

भई वाह, आनंद आ गया। 

हमारी हिंदी कहावतों में कितना सार छुपा है। 

एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ  ।।

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