Thursday, October 15, 2020

 उग्र मंगल व देश में अशांति


पं. सतीश शर्मा,  एस्ट्रो साइंस एडिटर, नेशनल दुनिया


इन दिनों जो देश में चल रहा है उसका ज्योतिष से घनिष्ठ सम्बन्ध है। ग्रहों की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। जब सारे ग्रह शांत हो गये हैं तो इन दिनों मंगल ग्रह वक्री हो गये हैं और मेष राशि से मीन राशि में आ गये है, जो कि युद्ध, रक्तपात, झगड़े, विवाद, दो राजा या दो शासनाध्यक्षों में युद्ध, विद्रोह, वर्ग युद्ध, सार्वजनिक हिंसा और मृत्यु का तांडव दे रहे हैं। जब मंगल वक्र गति से चलते हैं, जो कि इन दिनों चल रहे हैं, तो अति शक्तिशाली होते हैं और शासनाध्यक्ष या सेनापति को प्रभावित करते हैं। जिन लोगों की जन्म पत्रिका मंगल से प्रभावित हैं उन लोगों के जीवन में इन दिनों महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटने की संभावना है। 

हमारे सूर्य से मंगल की औसत दूरी 23 करोड़ किमी. है। मंगल का दिन पृथ्वी के दिन से कुछ मिनट ही अधिक है। पृथ्वी की तरह ही मंगल का अपने अक्ष पर झुकाव 25.19 डिग्री है अर्थात् मंगल को ग्लोब के रूप में दिखाया जाए तो पृथ्वी के ग्लोब की तरह ही झुका हुआ दिखाया जाएगा। ऋतुएँ भी बिल्कुल पृथ्वी जैसी ही हैं परन्तु उनकी अवधि लगभग दुगुनी है। इस समय मंगल और पृथ्वी के बीच में सबसे कम दूरी है, जो कि अगले 25 हजार वर्ष तक चलेगी। 

देवता के रूप में मंगल के हाथों में चार शस्त्र हैं - त्रिशूल, गदा, कमल तथा एक शूल। वराह पुराण के वर्णन के अनुसार वे भगवान वराह अवतार और पृथ्वी के मिलन से उत्पन्न हुए हैं। यह तब की कथा है जब सारी पृथ्वी जल में डूब गई थी और भगवान ने वराह (शूकर) के रूप में अवतार लेकर अपने थूथन से पृथ्वी को जल से बाहर निकालकर उसका उद्धार किया था। पृथ्वी और वराह के मिलन से मंगल की उत्पत्ति हुई, इसलिए मंगल को भौम या भूमि पुत्र माना जाता है। परन्तु मंगल का स्वयं का विवाह नहीं हुआ था। इस घटना का समीकरण किसी खगोलीय घटना के साथ किया जा सकता है, जिसमें किसी बड़े खगोलीय पिण्ड ने पृथ्वी को टक्कर मार दी और पृथ्वी से एक टुकड़ा निकलकर मंगल ग्रह के रूप में निर्मित हो गया। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसीलिए पृथ्वी और मंगल के गुणों में बहुत अधिक समानता है और अगर कहीं जीवन हुआ, तो पृथ्वी के अतिरिक्त मंगल ग्रह पर ही सबसे ज्यादा संभावना है। 

वैज्ञानिकों का एक समूह इस बुद्धि विलास में पड़ा हुआ है कि जीवन की उत्पत्ति के लिए कोई प्रथम सूक्ष्म जीव या तो पृथ्वी वाले भाग में था या मंगल वाले भाग में था। कभी यह बहुत गर्म ग्रह था परन्तु अब तप्त लाल ग्रह में बदल गया है। परन्तु मंगल पर अब वह सब कुछ है जो पृथ्वी पर है। बल्कि हमारे सम्पूर्ण सौर मण्डल का सबसे ऊँचा पर्वत भी मंगल पर ही स्थित है। उसका नाम ओलम्पस मून्स है। अन्य वैज्ञानिक शोध भी यह बताते हैं कि 3 ग्रह और भी ऐसे हैं जिन पर जीवन की सम्भावनाएँ हैं। नेचर जनरल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार यह तीन ग्रह आकार में पृथ्वी और शुक्र जैसे हैं और पृथ्वी से 39 प्रकाश वर्ष दूर हैं। 

ज्योतिष में मंगल – 

मंगल देवताओं के सेनापति हैं, इनका समीकरण भगवान शिव के पुत्र स्कन्द या कार्तिकेय से भी किया जाता है तथा त्रेता युग के हनुमान जी और द्वापर युग में भीम के अंदर मंगल का अंश माना जाता है। 

मनुष्य शरीर में मंगल - 

मनुष्य के शरीर में मंगल का आधिपत्य रक्त पर माना जाता है। रक्त निर्माण, रक्त प्रवाह से मंगल का सम्बन्ध होता है। शरीर में जितने भी रक्त विकार होते हैं, वे मंगल के नीच राशि में होने से, अस्त होने से और वक्री होने से सम्भव होते हैं। रक्ताल्पता हो, रक्त चाप हो, खून का पतला या गाढ़ा होना हो, थ्रोम्बोसिस या डीवीटी जैसी बीमारी जिसमें रक्त के थक्के बनकर नालियों को अवरूद्ध कर देते हैं, इत्यादि दूषित मंगल के कारण होते हैं। पल्स रेट या हार्ट बीट का कम-ज्यादा होना भी मंगल पर निर्भर है। वर्जिश, व्यायाम, खेलकूद, मॉर्निंग वॉक, कुश्ती और मुष्टियुद्ध सब मंगल के विषय हैं। आप अच्छी सी मॉर्निंग वॉक करिए, आपका रक्त चाप बढ़ता हुआ नजर आएगा। आप थोड़ा सा गुस्सा कीजिए तो आपका चेहरा लाल हो जाएगा या आपकी भृकुटि तन जाएगी, या आँखों में लाल डोरे आ जाएंगे तो मंगल चेहरे पर नजर आने लगेंगे। आपके शरीर पर घाव लगा है तो मंगल के कारण है। पहले तलवार, तीर-कमान से युद्ध हुआ करते थे तो शरीर पर घाव आ जाते थे, वह दूषित मंगल के कारण आते थे। आजकल बाहरी घाव नहीं होते, परन्तु मंगल दूषित होने के कारण पित्त जनित अल्सर या आंतरिक व्रण मंगल के कारण होते हैं। 

दाम्पत्य जीवन में मंगल - 

जन्म पत्रिका के 12वें भाव, लग्न, चौथे भाव, सातवें भाव और आठवें भाव में यदि मंगल स्थित हों तो उसे मंगल दोष माना जाता हैं। इस दोष का वास्तविक नाम तो वैधव्य दोष है, क्योंकि इन स्थानों में बैठा हुआ मंगल जीवन साथी के आयु और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। जीवन साथी की जन्म पत्रिका के इन्हीं भावों में यदि मंगल हो तो मंगल दोष का उपाय मान लिया जाता है। उच्च राशि का मंगल यद्यपि शुभ माना गया है और पंच महापुरुष योगों में से एक महायोग बनाता है, जिसका नाम रुचक महायोग है। परन्तु इस योग वाले बड़बोले और झूठ बोलते भी देखे गये हैं। पौरूष व अधिकारिता का सम्बन्ध मंगल से जोड़ा गया है। मंगल प्रधान व्यक्ति घर और चाहे बाहर, खुद ही शासन करना चाहते हैं। 

कर्ज मुक्ति और मंगल -

कर्ज का सम्बन्ध मंगल से जोड़ा गया है, इसलिए कर्जमुक्ति के जो उपाय किये जाते हैं, उनमें मंगल ग्रह के पूजा - पाठ बताये जाते हैं। वे ही खिलाड़ी सफल होते हैं, जिनकी कुण्डली में मंगल शानदार होते हैं। मंगल प्रधान व्यक्ति अत्यंत श्रमशील होते हैं, अत: धीरे-धीरे कर्जमुक्त हो ही जाते हैं। 

तर्क के देवता हैं मंगल - 

जैमिनी ऋषि ने मंगल को तर्कशास्त्र का प्रणेता ग्रह माना है। कारकांश लग्न में यदि मंगल हो तो व्यक्ति तार्किक होता है, चाहे वह न्यायाधीश हो, चाहे वकील हो, चाहे कम्पनियों के पैरोकार हों, चाहे लीगल एडवाइजर हों या चाहे मेडिकल रिप्रेन्टेटिव जैसे कर्मचारी हों। मंगल और बुध ग्रह का परस्पर ज्योतिष सम्बन्ध हो व्यक्ति निश्चित न्यायाधीश बनता है। 

वर्तमान सामाजिक अशांति और मंगल ग्रह - 

हाथरस जैसी घटना या ऐसी अनेकों घटनाओं के मूल में जहाँ सामाजिक मतभेद या वर्ग भेद जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, मंगल ग्रह की गतियाँ देशकाल को प्रभावित करती हैं। सितम्बर महीने से मंगल मेष राशि में आये हैं जो कि उनकी अपनी राशि है, फिर वे वक्री हो गये तो और भी शक्तिशाली हो गये। इसके बाद एक विचित्र बात हुई कि 4 अक्टूबर के दिन मंगल ग्रह मेष राशि से उल्टा चलकर मीन राशि में आ गये यानि कि करेला और नीमचढ़ा। प्रभावित वर्ग कौन हैं? राजपूत, जो कि मंगल ग्रह के प्रतिनिधि हैं। अत: शास्त्रों में वर्णित ग्रहों का प्रभाव सामाजिक जीवन में इस प्रकार देखा जा सकता है। अब यह मंगल 14 नवम्बर तक वक्री रहेंगे, तो एक भविष्यवाणी की जा सकती है कि 14 नवम्बर तक किसी न किसी रूप में आंदोलन चलते ही रहेंगे। झूठे तर्क गढ़े जाएंगे, षडय़ंत्र रच जाएंगे और सरकारें अपराधियों के पीछे भागती रहेंगी। मंगल के कारण लोगों के दिमाग में गर्मी भरी रहेगी और घटनाएँ घटती रहेंगी। राजशाहियों के जमाने में तो राजा लोग खुद ग्रहों की शान्ति करवा लेते थे। वर्तमान लोकतांत्रिक पद्धतियों में सरकारें तो ऐसा काम करती नहीं है। हाँ, व्यक्तिगत स्तर पर किये जा सकते हैं। अभी मंगल की बड़ी भूमिका शेष हैं क्योंकि थोड़े दिन बाद वे पुन: मेष राशि में 24 दिसम्बर को आने वाले हैं, जहाँ वे 22 फरवरी तक रहेंगे और उसके बाद वृषभ राशि में 14 अप्रैल तक रहेंगे। मंगल ग्रह के मीन, मेष और वृषभ राशि पर्यन्त भ्रमण के समय शासन के हाथ अपराधियों की गर्दन पर होंगे। चूंकि वृषभ राशि में रहते हुए मंगल, वृश्चिक राशि पर दृष्टिपात करेंगे, जो कि मुम्बई की राशि है, इसीलिए वहाँ पर भी अपराधियों की गर्दन पर कानून के हाथ पहुँच जाएंगे।

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